सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय बाबा साहब ने संविधान बनाया था। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय बाबा साहब ने संविधान बनाया था।
तब तक ए चाँद तुम ऐसे ही लुक्का छिप्पी खेलना . .! ! तब तक ए चाँद तुम ऐसे ही लुक्का छिप्पी खेलना . .! !
फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ? फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ?
अपने हिस्से की धरती अपने हिस्से का गगन। अपने हिस्से की धरती अपने हिस्से का गगन।
उसे जागना होगा और जगाना होगा औरों को। महिला दिवस सार्थक होगा, उसे जागना होगा और जगाना होगा औरों को। महिला दिवस सार्थक होगा,
दो वक़्त की रोटी नसीब न होती कितनों को, और हम भोजन में विकल्प लेते फिरते है। दो वक़्त की रोटी नसीब न होती कितनों को, और हम भोजन में विकल्प लेते फिरते है।